स्व. झांझोट की चतुर्थ पुण्य स्मृति पर "वाल्मीकि रथ" समाज को समर्पित




उज्जैन
। मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है — इसी आदर्श को साकार करते हुए स्वर्गीय अशोक कुमार झांझोट की चतुर्थ पुण्य स्मृति पर उनके पुत्र राजकुमार झांझोट, बड़ी बहन, माताजी एवं संपूर्ण परिवारजन ने समाज के प्रति एक प्रेरणादायी कदम उठाया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में पूरे झांझोट परिवार ने भावुक होकर “वाल्मीकि रथ” (शव वाहन) उज्जैन शहर और सकल हिंदू समाज को समर्पित किया इस अवसर पर उज्जैन के समस्त वाल्मीकि समाज पदाधिकारी एवं हिन्दू संगठन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

जानकारी देते हुए समाजसेवी राजकुमार झांझोट ने बताया कि पिता से ही बेटे का नाम होता परन्तु पिता के ना होने के बाद बेटे से किस प्रकार पिता का नाम गौरवान्वित होता है ये मुख्य विचार धारा है। स्वर्गीय अशोक कुमार झांझोट बैंक एसबीआई से रिटायर्ड हुए जिसके पश्चात भी उन्होंने अपना समाजसेवा का काम जीवंत रखा और हमको भी यही सिख दी। स्वर्गीय अशोक कुमार झांझोट की पुण्य स्मृति में आज परिवार द्वारा शहर को शव वाहन समर्पित किया गया जो निजी तौर पर संचालित किया जाएगा। जिसका आज सुभाष नगर पानी की टंकी पर हरि झंडी दिखाकर दिवंगतों को सुगमता से चक्रतीर्थ पहुंचाने के लिए शहर हित में रवाना किया गया। इस अवसर पर शिवसेना, गौ रक्षा न्यास एवं हिंदू टाइगर फोर्स के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने भी समाजसेवा के इस अद्भुत कार्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। धर्मवीर बजरंग दल संगठन के सदस्य एवं पदाधिकारी कार्यक्रम में सहभागी बने। परम आदरणीय राजू महाराज (आदिशक्ति साधना केंद्र) ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान की।

वही वाल्मीकि समाज इंदौर से समाजसेवी व कार्यकर्ता चौधरी पटेल, अरविंद सिंदल, आनंद सिंदल, राजू सिंदल, जैकी-जैकी पेमाले सहित अनेक समाजबंधु विशेष रूप से पधारे। वही माझी समाज से राकेश पहलवान भी कार्यक्रम में शामिल हुए। विशाल सेना प्रमुख रानू वैष्णव, वार्ड क्रमांक 47 से पार्षद गोपाल बलवानी, मानशरोवर रहवाशीयो और रिया जैन दिवाकर उपाध्याय  नानाखेड़ा एवं देवासगेट बस स्टैंड से समस्त बस ऑपरेटर, मैनेजर, मालिक एवं मित्रगण बड़ी संख्या में कार्यक्रम का हिस्सा बने।

कार्यक्रम को इस प्रकार संजो के रखा कि समाज और परिवार की भावनाओं से ओतप्रोत न हो ओर इस ऐतिहासिक अवसर पर संपूर्ण उपस्थित जनसमूह ने भावुक होकर "वाल्मीकि रथ" को समाज के नाम समर्पित होते देखा। हरी झंडी दिखाकर इसे औपचारिक रूप से समाज को सौंपा गया। जिसमें शव वाहन के ऊपर वाल्मीकि जी को रामायण लिखाए हुए दर्शाए गए हैं।

पुत्र राजकुमार झांझोट ने अपने पिता की पुण्य स्मृति को समाजसेवा में बदलकर एक ऐसा कार्य किया, जिसने न केवल झांझोट परिवार को, बल्कि समूचे  समाज और उज्जैन नगर को गौरवान्वित किया है। यह पहल आने वाली पीढ़ियों को समाजसेवा की प्रेरणा देती रहेगी। इस अवसर पर स्वर्गीय अशोक कुमार झांझोट के मित्र भारतीय स्टेट बैंक से महेश बिल्लोरे जी, अजमेरी जी, सेकर कुशवाह,  भरत बडवाय आदि ने अपनी मुख्य उपस्थिति देकर उनकी यादों में दो शब्द कहे।